भारतीय अर्थव्यवस्था का काला और सफेद: कांग्रेस भारत का लूटेरा ||


 मोदी सरकार ने हाल ही में एक श्वेत पत्र जारी किया है जो कि को यूपीए सरकार के कार्यों को  से मोदी सरकार के कार्यों से तुलना कि गई है । दोनों सरकारों ने दस साल तक काम किया है । 
लेकिन कांग्रेस के शासन के द्वारा स्वतंत्रता के बाद की गई विशाल लूट को समझने के लिए गहरी समीक्षा या विश्लेषण की आवश्यकता नहीं है। जब हम चीन और भारत की आर्थिक विकास की राहों की तुलना करते हैं तो यह साफ दिखता है कि अगर लूट न हुई होती तो हम आज दुनिया कि एक बड़ी आर्थिक शक्ति होते । 
1960 में, चीन का प्रति व्यक्ति आय $93 और भारत की  $83 थी  लेकिन 2001 तक, चीन का प्रति व्यक्ति आय $1,053 तक बढ़ गई  जबकि भारत की प्रति व्यक्ति आय $450 थी । 2024 में, चीन की प्रति व्यक्ति आय $13,155 है, जबकि भारत $2,612 पर है। अगर हम  2014 के आंकड़ों को देंखें तो , चीन की प्रति व्यक्ति आय $7,636 थी  जबकि भारत की $1,560 थी । 
1960 से 2014 के दौरान, कांग्रेस ने 54 वर्षों में लगभग 42 वर्षों तक शासन किया है। कांग्रेस ने इस दौरान भारत को एक न्यूनतम विकास दर जो की बिना किसी मेहनत के भी प्राप्त किया जा सकता था क्योंकि आजादी के कुछ साल जो काम हुए थे वो काफी थे जिससे कि भारत इस दर से बढ़ता रहता ।  इस समय के दौरान, कांग्रेस ने विकास के लिए अधिकतम धन का उपयोग नहीं किया, बल्कि लूट की।
किंतु, जैसे ही कांग्रेस ने अपने आप को स्थापित किया, वह प्रगति के पथ से लूटेरों में बदल गई। ब्रिटिश से विरासत में मिली ब्यूरोक्रेटिक संरचना ने इस लूट को सुनिश्चित किया, अंग्रेजों की लूट को जारी रखी।
मोदी सरकार द्वारा जारी किया गया व्हाइट पेपर केवल कांग्रेस की लूट को बस छूता है। इस अवधि को , 2004 से 2014, 'यूरोपीय शासन' के रूप में जाना जा सकता है, जो एक इटालियन मूल के एक व्यक्ति द्वारा नियंत्रित था, जो दो गांधी परिवार के सदस्यों - इंदिरा और राजीव गांधी - की दुर्भाग्यपूर्ण मौत के बाद शक्ति पर उतरी। संजय गांधी की मृत्यु, हालांकि, आकस्मिक थी, लेकिन यह भी गांधी परिवार में सोनिया गांधी के प्रवेश के बाद हुई , जो की क्रमशः घटनाओं का संकेत करती है। सोनिया गांधी के वास्तविक शासन का दशक, मनमोहन सिंह का मुखौटा लगा कर किया गया, भारतीय इतिहास में एक अंधेरे अध्याय को प्रस्तुत करता है। प्रत्येक गर्वित भारतीय को सोचना चाहिए कि क्या उन्हें एक ऐसे नेता मिला जो अपने विचारों को स्वयं नहीं कह सकता, या उसके अपने कोई विचारधारा ही नहीं है ।
आज ,आईएमएफ के अनुसार, भारत अब विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और दुनिया में पांचवां स्थान है। 2024 वर्ष देश के लिए और उच्च वृद्धि दर की प्राप्ति के लिए एक नीव साबित हो सकता है। आज, हम एक $3.7 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था हैं, और जल्द ही, भारतीय सरकार द्वारा बढ़ाई गई पूंजीगत खर्च (capex) और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने वाली पहल के कारण हम तेजी से बढ़ सकते हैं।



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