ध्रुव राठी, जिन्हें "जर्मन शेपर्ड" के नाम से जाना जाता है, हाल ही में राम मंदिर पर अपना वीडियो (#627) रिलीज़ किया है। उन्होंने "प्राण प्रतिष्ठा" के अर्थ की व्याख्या करते हुए राम मंदिर के उद्घाटन के विभिन्न समाचार क्लिप्स दिखाए। हालांकि, श्री राम के गुणों पर चर्चा करने की इच्छा व्यक्त करने के बाद, उन्होंने शीघ्र ही प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना शुरू कर दिया , उनके उद्घाटन के दौरान उनके कार्यों का मजाक उड़ाया। राठी , श्री लाल कृष्ण आडवाणी और श्री मुरली मनोहर जोशी की भूमिका की सराहना करते हैं, जिन्होंने राम मंदिर के आंदोलन की एक बड़े स्तर पर शुरुआत की । राठी ने तुरंत ही आलोचना करते हुए कहा की बॉलीवुड के लोगों बुलाया गया परंतु आडवाणी जी को नहीं बुलाया ।
राठी ने सीताराम येचुरी की सराहना की जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की दुहाई देते हुए निमंत्रण को ठुकरा दिया, और कहा की सरकार का किसी भी धर्म से संबद्ध नहीं हो सकता।
राठी, मोदी के राम मंदिर को बनाने के प्रयत्नों को दरकिनार करते हुए उनके उद्घाटन के कार्यों को एक राजनीतिक फायदे के लिए किया गया कार्य बताते हुए आलोचना करते हैं।
राठी श्री राम को केवल "राम" कहके संबोधित करते हैं, जो धार्मिक हिंदू कभी नहीं कर सकता ।
राठी शिव सेना के संजय राऊत के मोदी विरोधी बयानों को दिखाते हैं और कांग्रेस का समारोह में शामिल नहीं होने का निर्णय को सही बताने का प्रयत्न कर रहे हैं।
राठी शंकराचार्यों का भी समारोह में शामिल नहीं होने का उल्लेख करके, अधूरे मंदिर में 'प्राण प्रतिष्ठा' की निंदा की । उन्होंने स्वीकार किया कि शंकराचार्यों को सोशल मीडिया पर उन्हें अपमानित किया गया है, और इसका दोष भी भाजपा और मोदी के ऊपर लगा देते हैं।
उन्होंने श्री राम के भक्तों को अंधे अनुयायी के रूप में मजाक उड़ाया और कहा कि उनके पास श्री राम के उपदेशों की गहरी समझ नहीं है, रामायण के कुछ उदाहरण देकर श्री राम की विनम्रता और राज्य के लिए कोई मोह न होने के लिए बड़ाई की । राठी तंज करके संकेत करते हैं कि आजकल लोग शक्ति के लिए कुछ भी करेंगे, जाहिर है उनका इशारा मोदी जी की तरफ था ।
इस वीडियो के माध्यम से राठी ने बहुत से राम भक्तों द्वारा किए गए बलिदानों का कोई भी उल्लेख नहीं किया।
उन्होंने कांग्रेस के नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम का उल्लेख नहीं किया, जिन्होंने कहा कि अगर पीएम मोदी न होते तो राम मंदिर का निर्माण न होता, इस नेता ने मोदी की भूमिका को मानने का साहस किया है।
श्री राम मंदिर को पक्षपातपूर्ण और नकारात्मक प्रकार से प्रस्तुत किया गया है। राम मंदिर को उन्होंने इस प्रकार दिखाया जैसे की इसका हिंदुओं के लिए इसका बहुत महत्व नहीं हैं ।
भारत एक हिंदू बहुमत देश है, और इसके मूल्यों को, विशेष रूप से भगवान राम के संदर्भ में, सम्मान दिया जाना चाहिए।
हालांकि सरकारों को बहुमत से बनाया जा सकता है, लेकिन राम मंदिर का काम पीएम मोदी के कार्यकाल में हुआ है और राम मंदिर की प्राप्ति की सराहना और इसका श्रेय मोदी जी को ही जाना चाहिए । लेकिन ध्रुव राठी ने इसका मजाक बनाया है ।
ध्रुव राठी यह समझने में असमर्थ है कि देश की बहुमत जनसंख्या के खिलाफ कार्रवाई करना, असल में, देश के खिलाफ कार्रवाई करना है।
राम के बिना, भारत को भी कल्पना नहीं की जा सकती,” आचार्य प्रमोद, कांग्रेस नेता।
ध्रुव राठी का बहिष्कार करो।
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